झारखण्ड में जनजाति विद्रोह। Revolt of Jharkhand

झारखण्ड में जनजाति विद्रोह

झारखण्ड में जनजाति विद्रोह

मुंडा विद्रोह 

  • जमीदारों व साहूकारों के शोषक निति के विरुद्ध मुंडा विद्रोह किया गया था।
  • यह विद्रोह  उलगुलान के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था।
  • इस आंदोलन का मुख्य केंद्र खूंट था।
  • बिरसा मुंडा ने उलगुलान के उपाधि धारण करके खुद को भगवन का दूत घोषित  कर दिया।
  • विरसा मुंडा को प्रथम बार 24 अगस्त 1895 को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी ने गिरफ्तार किया और 30 नवंबर 1897 को मुक्त कर दिया।
  • 3 मार्च 1900 को बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया और 9 जून 1900 को रांची जेल में उनकी मृत्यु होने के साथ साथ इस विद्रोह का अंत हुआ।

संथाल विद्रोह

  • 1793 में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा आरम्भ किए गए स्थाई बन्दोबस्त के कारण जनता के ऊपर बढ़े हुए अत्याचार इस विद्रोह का एक प्रमुख कारण था।
  • 1855 में सिद्धू ,कान्हू ,चाँद और भैरव के नेतृत्व में संथाल विद्रोह का सुरुवात हुई।
  • इस आंदोलन को कालमार्क्स ने भारत की प्रथम जनक्रांति की संज्ञा दी।
  • जमींदार ,महाजन ,पुलिस और सरकारी कर्मचारी का नाश इस विद्रोह का प्रमुख नारा था।
  • 1855 में संथालों में अंग्रेज कमांडर मेजर बारो को हराया था।

टाना भगत आंदोलन

  • सन 1914 में ब्रिटिश सत्ता के खिलाप जतरा भगत के नेतृत्व में किया गया आंदोलन था।
  • इस आंदोलन का नेतृत्वकर्ता माण्डर क्षेत्र ने शिबू भगत ,घाघरा क्षेत्र में बलराम भगत अदि थे।

तिलका आंदोलन 

  • तिलका मांझी इस आंदोलन का नेतृत्वकर्ता थे।
  • तिलका मांझी द्वारा गांव में विद्रोह का सन्देश साल पत्ता के माध्यम से भेजा जाता था।
  • इस विद्रोह का प्रमुख केंद्र भागलपुर था।
  • सन 1875 में तिलका मांझी को धोके से पकड़ा गया और उन्हें बरगद के पेड़ पर लटकाकर फांसी दे दी गयी।
  • 1991 में तिलका मांझी के नाम पर भागलपुर बिश्वविद्यालय का नाम रखा गया।

ढाल विद्रोह (1767 -1777 )

  • झारखण्ड में अंग्रेजों की आगमन शर्वप्रतम सिंघभूम-मानभूम की और से हुआ।
  • अंग्रेजों  के द्वारा जगन्नाथ धल को अपदस्त कर दिया और नीमू धल धालभूम का राजा बना दिया।
  • अपदस्त राजा जगन्नाथ धल के नेतृत्वा में एक विद्रोह हुआ जो  धल विद्रोह के नाम से जाना जाता है।
  • यह विद्रोह 10 वर्ष तक चला।
  • 1777 में अंगेजों ने पुनः जगन्नाथ धल को धालभूम का राजा स्वीकार किया और विद्रोह सांत हुआ।

चुआर विद्रोह 

  • रघुनाथ महतो के नेतृत्व से झारखण्ड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के शोषण से मुक्ति के लिए 1769 में विद्रोह किया ,जिसे चुआर विद्रोह के नाम से जाना जाता है।
  • अंग्रेज शासको ने चुआरो से उनके जमीन चिन लिया इसके विरुद्ध छुआरों नै विद्रोह कर दिया।
  • यह आंदोलन 1767 से 1805 तक चला।
  • रघुनाथ महतो ,श्याम गंजम ,सुबल सिंह और जगन्नाथ पातर अदि इस विद्रोह का प्रमुख नेता थे।

कोल विद्रोह

  • कोल विद्रोह कोल जनजाति द्वारा अंग्रेजी सरकार के अत्याचार के खिलाफ 1831 ईसवी में किया गया एक महवपूर्ण  विद्रोह है।
  • यह झारखण्ड का प्रथम संगठित और व्यापक विद्रोह है।

तमाड़ विद्रोह 

  • यह विद्रोह 1782 से 1821 तक चला था।
  • यह वद्रोह अंग्रेजों के शासन के विरुद्ध किया गया जन विद्रोह था। 

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